सत्यता की बात कर
दुर्लभ मार्ग चुने
थे वो आजादी के योद्धा
चलो गाथा उनकी आज सुने।
गाथा बहुत पुरानी है
जब शासन था अंग्रेजो का
कथा अब तुमको सुननी है
जब भारत था अंग्रेजो का।
हड़पा था उस भारत को
जिसने जीता था अपने शोहरत को
बना लिया आखिर गुलाम ही इसको
लेकिन बदल सका न मन के इसको।
वीर योद्धा खूब बलवान
मन में थी आजादी की उड़ान,
थी उन दिनों भारत की भूख
बिन आजादी पड़ रहा था वो सुख।
खत्म हो चुकी थी जीने की चाह
शाहिद हुए बिन खुद की परवाह
प्यास तो उनको बुझानी ही थी
भारत को तो आजादी दिलानी ही थी।
मर कट कर दम तोड़ा सबने
उम्मीद थी अंधेरे में जैसे
वीर योद्धा सबने मिलकर
उठाया भारत को सबसे ऊपर।
हुई क्रांति, हुआ प्रहार
सबने मिलकर चलाई तलवार
ठान लिया अब जितना है
स्वर्ण भारत को लौटाना है।
शुरू हुआ झांसी में युद्ध
लक्ष्मी बाई ने लड़ा ये खुद
डलहौजी कर रहा था इंतजार
देख वीरता खड़ा बेहाल।
नाना साहेब की टोली ने
जब देख बंद भारत एक झोली में
हाथ काटकर किया ये त्याग
हे भारत हम लौटाएंगे तुझे नदी और प्रयाग।
अजी मुल्लाह ने छेड़ी जब जंग
समर्पित किया खुद को वीरों के संग
फिर भी थी दहाड़ बुलंद
सुनकर ये अंग्रेजो की बुद्धि मंद।
जब आधुंकिता का वक्त आया
बोस, शेखर, भगत ने कहर बरसाया
अंग्रेजो से कोई न कम
कहकर ये वीर है भारत के हम।
सालो साल हुआ ये युद्ध
आई आजादी, वतन अब ये शुद्ध
अब ये स्वतंत्रता की शान बना
ऐसे आजादी हमारा इतिहास बना।
खत्म हुई मेरी ये कहानी
जिसे सुनी अपने मेरी जुबानी।
यही थी वो वीरता की लड़ाई
जो भारत ने आखिर जीत कर दिखाई।
"रक्षा बंधन की भी आप सभी को ढेर सारी शुभ कामनाएं.........."
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